गजल रचना अशाढ २५
सप्नो ले के गया कहिँ दुर,एक हावा आया
ना तुम्ने सोचा ना मैने सोचा,एक झोका आया ।
फुल खिले प्रेमका हाँ,मैने भि यही सोचा था
सालो बित गए वो साम,आज क्युँ खयाल आया ।
उड्ते पंक्षि दो दिलका,उड्ते पतङ्ग आसमान मे
गिर गया एक झोके मै,वो एक तुफान आया ।
कौन सोचा था वो पल भि,दो दिल अलग होँगे
कौन था वो एक अजनबी,कहर मे सवार आया ।
मासुम था वो दिल मेरा,कोही पत्थर तो नही था
आशामान से बिजली गिरकर,एक वो तुटाने आया ।
अर्पण तमाङ(योन्जन)
तरहरा-२ सुनसरी
हाल दोहा कतार
Thursday, July 8, 2010
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